Not known Details About Shodashi

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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥

Goddess Tripura Sundari Devi, generally known as Shodashi or Lalita, is depicted that has a rich iconography that symbolizes her a variety of characteristics and powers. Her divine form is frequently portrayed as a beautiful young lady, embodying the supreme splendor and grace of your universe.

Shodashi is known for guiding devotees towards bigger consciousness. Chanting her mantra encourages spiritual awakening, encouraging self-realization and alignment Along with the divine. This profit deepens interior peace and wisdom, creating devotees much more attuned for their spiritual ambitions.

The Devas then prayed to her to damage Bhandasura and restore Dharma. She is considered to get fought the mom of all battles with Bhandasura – some scholars are of your watch that Bhandasura took a variety of types and Devi appeared in different types to annihilate him. Ultimately, she killed Bhandasura Together with the Kameshwarastra.

If the Devi (the Goddess) is worshipped in Shreecharka, it is claimed to get the highest method of worship of the goddess. You will find sixty four Charkas that Lord Shiva gave on the people, along with distinctive Mantras and Tantras. These got so that the human beings could target attaining spiritual Rewards.

सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥

हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् ।

बिंदु त्रिकोणव सुकोण दशारयुग्म् मन्वस्त्रनागदल संयुत षोडशारम्।

Her legacy, encapsulated in the colourful traditions and sacred texts, carries on to manual and inspire Individuals on The trail of devotion and self-realization.

मुख्याभिश्चल-कुन्तलाभिरुषितं मन्वस्र-चक्रे शुभे ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं click here सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥

श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥

‘हे देव। जगन्नाथ। सृष्टि, स्थिति, प्रलय के स्वामी। आप परमात्मा हैं। सभी प्राणियों की गति हैं, आप ही सभी लोकों की गति हैं, जगत् के आधार हैं, विश्व के करण हैं, सर्वपूज्य हैं, आपके बिना मेरी कोई गति नहीं है। संसार में परम गुह्रा क्या वास्तु है?

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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